जो सेवा को टालते हैं वे सेवा का महत्त्व नहीं जानते । सेवा तो हृदय को उभारने ( ऊँचा उठाने या विकसित करने ) के लिए है, सेवा बोझा नहीं है । – पूज्य संत श्री आशारामजी बापू