Thought for the Day

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जो सेवा को टालते हैं वे सेवा का महत्त्व नहीं जानते । सेवा तो हृदय को उभारने ( ऊँचा उठाने या विकसित करने ) के लिए है, सेवा बोझा नहीं है । – पूज्य संत श्री आशारामजी...
Thought for the Day

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जब तक सर्व दुःख की निवृत्ति और परमानन्द की प्रप्ति का लक्ष्य नहीं है तब तक राग-द्वेष की निवृत्ति नहीं होगी|- पूज्य संत श्री आशारामजी...
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जब साधु-संगति मिलती है और मनुष्य संत-सेवी होता है, तब उसे हृदय की प्रसन्नता प्राप्त होती है । – पूज्य संत श्री आशारामजी...
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अपने आत्मरस से ही जगत रसवान हो रहा है । – पूज्य संत श्री आशारामजी बापू
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आपके पास जो भी विवेक है, वैराग्य है, प्रीति है, पाने की इच्छा है वह सब ईश्वरप्राप्ति के निमित्त लगा दो, ईश्वर मिल जायेंगे। – पूज्य संत श्री आशारामजी...
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घोर प्रवृत्ति के बीच भी ज्ञानी भीतर से राग-द्वेष से रहित अपनी सच्चिदानंदघन ब्रम्ह स्थिति से दृढ़ होते है ।  – पूज्य संत श्री आशारामजी...